वातरोग-गठिया आदि : वातरोग
वातरोग
पहला प्रयोगः दो तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 2 से 20 मि.ली. तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी न लें। साथ में दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधने से वात-दर्द में लाभ होता है।दूसरा प्रयोगः निर्गुण्डी के पत्तों का 10 से 40 मि.ली. रस लेने से अथवा सेंकी हुई मेथी का कपड़छन चूर्ण तीन ग्राम, सुबह-शाम पानी के साथ लेने से वात रोग में लाभ होता है। यह मेथीवाला प्रयोग घुटने के वातरोग में भी लाभदायक है। साथ में वज्रासन करें।
तीसरा प्रयोगः सोंठ के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 5 से 10 ग्राम अरण्डी का तेल डालकर सोने के समय लेने से खूब लाभ होता है। यह प्रयोग सायटिका एवं लकवे में भी लाभदायक है।
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वातरोग-गठिया आदि : वातरोग
Reviewed by ritesh
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1:54 AM
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