banner image

त्वचा के रोग : रक्तविकार

रक्तविकार

पहला प्रयोगः दो तोला काली द्राक्ष (मुनक्के) को 20 तोला पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह उसे मसलकर 1 से 5 ग्राम त्रिफला के साथ पीने से कब्जियत, रक्तविकार, पित्त के दोष आदि मिटकर काया कंचन जैसी हो जाती है।
दूसरा प्रयोगः बड़ के 5 से 25 ग्राम कोमल अंकुरों को पीसकर उसमें 50 से 200 मि.ली. बकरी का दूध और उतना ही पानी मिलाकर दूध बाकी रहे तब तक उबालकरछानकर पीने से रक्तविकार मिटता है।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
त्वचा के रोग : रक्तविकार   त्वचा के रोग :  रक्तविकार Reviewed by ritesh on 1:52 AM Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.