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गर्दन और गले के रोग : टॉन्सिल प्रदाह (Tonsillitis)


टॉन्सिल प्रदाह (Tonsillitis)

परिचय:-

टॉन्सिल एक गले का रोग है। इस रोग में गले की मुख्य नली के दोनों ओर स्थित ग्रंथियां फूल जाती हैं। इन ग्रंथियों के फूलने से रोगी को खाने-पीने में परेशानी होती है। ग्रंथि के फूलने से ग्रासनली सिकुड़ जाती है, जिससे भोजन आदि को निगलने में दर्द होता है। इस रोग में रोगी को बार-बार सूखी खांसी आती है और उसमें चिड़चिड़ापन उत्पन्न हो जाता है। रोगी को भूख नहीं लगती और उसका पाचनसंस्थान कमजोर हो जाता है।
          टॉन्सिल प्रदाह रोग उत्पन्न होने का मुख्य कारण कब्ज है। इस रोग का उपचार समय से न करने पर यह अधिक बढ़ जाता है जिसे बाद में ऑपरेशन के द्वारा काटकर हटाया जाता है। इससे रोग ठीक हो जाता है। परन्तु कभी-कभी इसके कारण अन्य रोग भी पैदा हो जाते हैं।
जल चिकित्सा द्वारा रोग का उपचार-
          इस रोग को दूर करने के लिए पहले कब्ज को दूर करें और पाचन संस्थान को मजबूत बनाएं। इसके बाद उपचार के लिए गले में कीचड़ की पट्टी या ठंडे जल की पट्टी लगाएं।
          इसके अतिरिक्त रोगी को होल बाथ, हिप बाथ और सिज बाथ भी लेना चाहिए। सप्ताह में 1 बार वाष्प स्नान (स्टीम बाथ) लेना चाहिए। इससे पसीने के रूप में शरीर की गन्दगी बाहर निकल जाती है।
भोजन और परहेज-
          इस रोग में रोगी को आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए। उत्तेजक और नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए। रोगी को भूख न लगने पर उपवास या अर्द्धउपवास रखना चाहिए।
गर्दन और गले के रोग : टॉन्सिल प्रदाह (Tonsillitis) गर्दन और गले के रोग : टॉन्सिल प्रदाह (Tonsillitis) Reviewed by ritesh on 1:57 AM Rating: 5

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