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गर्दन और गले के रोग : घेंघा (Goitre)


घेंघा (Goitre)

परिचय:-

घेंघा रोग से पीड़ित रोगी के गले के पास एक बड़ी सी सूजन पैदा हो जाती है और गांठ सी पड़ जाती है। यह सूजन गले के नीचे की ओर लटकी रहती है। इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में आयोडीन की कमी होना है।
घेंघा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
  • घेंघा रोग को ठीक करने के लिए रोगी को 2 दिन के लिए उपवास रखना चाहिए और उपवास के समय में केवल फलों का रस पीना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया द्वारा अपने पेट को साफ रखना चाहिए। इसके बाद उसे प्रतिदिन उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
  • रोगी को गले में कण्ठ के पास की गांठों पर भापस्नान देकर दिन में 3 बार मिट्टी की पट्टी बांधनी चाहिए और रात के समय में गांठों पर हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए।
  • यदि रोगी की गर्दन पर गांठ बनना शुरू हई है तो तुलसी और अरण्डी के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर और पीसकर उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर गर्म-गर्म ही गांठ पर बांध देने से गांठ अधिक परेशान नहीं करती है और ठीक हो जाती है।
  • घेंघा रोग से पीड़ित रोगी को आसमानी रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 2 भाग तथा लाल रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 1 भाग एक साथ मिला लेना चाहिए। इस जल को लगभग 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए तथा गांठों पर लगभग 10 मिनट तक नीला प्रकाश डालना चाहिए और सप्ताह में 1-2 बार एप्सम साल्टबाथ (गर्म पानी में नमक डालकर स्नान करना) भी लेना चाहिए। रोगी को प्रतिदिन नियमित रूप से शरीर और सांस की हल्की कसरतें भी करनी चाहिए।
  • इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को उन चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करना चाहिए जिसमें आयोडीन की अधिक मात्रा हो।
  • रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में आयोडीन युक्त नमक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए।
जानकारी-
          इस प्रकार से रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रोगी का घेंघा रोग ठीक हो जाता है लेकिन इस रोग को ठीक होने में कम से कम 2-3 महीने का समय लग सकता है।
गर्दन और गले के रोग : घेंघा (Goitre)   गर्दन और गले के रोग : घेंघा (Goitre) Reviewed by ritesh on 1:53 AM Rating: 5

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