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मांसपेशियों के रोग : अफस्फीत शिराएं (varicose veins)


अफस्फीत शिराएं (varicose veins)

परिचय:-

जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके शरीर की शिराएं (नसें) फैलकर लंबी और मोटी हो जाती हैं। यह शिराएं (नसें) शरीर की किसी भाग की हो सकती हैं जैसे- मलाशय शिराएं, वृषण शिराएं तथा ग्रासनली शिराएं। लेकिन यह रोग अधिकतर पैरों को प्रभावित करता है जिसके कारण पैरों की शिराएं लंबी तथा मोटी हो जाती हैं। इस रोग का शिकार अधिकतर महिलाएं होती हैं और इस रोग में रोगी का दाहिना पैर, बाएं पैर की अपेक्षा अधिक प्रभावित होता है।
वेरिकोस वेन्स रोग का लक्षण :-
          इस रोग के हो जाने पर रोगी व्यक्ति के पैरों में दर्द के साथ थकान तथा भारीपन महसूस होने लगता है। रोगी के टखने में सूजन हो जाती है। रात के समय में रोगी के पैरों में ऐंठन होने लगती है। इस रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा का रंग बदलने लगता है। इस रोग के कारण स्टैटिस डर्मेटाइटिस तथा शरीर के नीचे के अंगों में सेल्युलाइटिस रोग हो जाता है।
वेरिकोस वेन्स रोग होने का कारण :-
  1. ये शिराएं वह रक्त वाहिकाएं होती हैं जो रक्त (खून) को हृदय में वापस लाती हैं। इन शिराओं में वॉल्व लगे होते हैं, जिनसे रक्त का एक ही दिशा में संचारण होता है। जब ये शिराऐं फैल जाती हैं तो इसके वॉल्व अपना कार्य करना बंद कर देते हैं, जिसके कारण रक्त (खून) उपास्थि शिराओं में जमा होकर, टांग के ऊतकों के बीच में जमने लगता है, जिसके कारण उस भाग पर सूजन हो जाती है और आगे चलकर त्वचा के रंग में परिवर्तन होने लगता है। जिसके कारण रोगी व्यक्ति के शरीर में क्षय, एक्जिमा, खून की कमी आदि लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।
  2. वेरिकोस वेन्स रोग उन व्यक्तियों को हो जाता है जो अधिक देर तक खड़े होकर या बैठकर काम करते हैं।
  3. वेरिकोस वेन्स रोग उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जो अधिक वजन उठाने का कार्य करते हैं तथा अधिक वजन वाले व्यक्तियों और महिलाओं को भी वेरिकोस वेन्स रोग हो जाता है।
वेरिकोस वेन्स रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
  1. वेरिकोस वेन्स रोग से पीड़ित रोगी को अधिक वजन उठाने का कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे इस रोग का प्रभाव और अधिक बढ़ सकता है।
  2. यदि वेरिकोस वेन्स रोग से पीड़ित रोगी का वजन अधिक है तो उसे अपना वजन कम करना चाहिए ताकि यह रोग जल्दी ठीक हो सके।
  3. रोगी व्यक्ति को लंबे समय तक बैठने तथा खड़े रहने का कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे रोग का प्रभाव और बढ़ सकता है।
  4. वेरिकोस वेन्स रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए पानी में इप्सम नमक मिलाकर न्यूट्रल इमर्शन स्नान करना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक आराम मिलता है।
  5. रोग से प्रभावित भाग पर बारी-बारी से गर्म तथा ठण्डी सिंकाई करनी चाहिए ताकि दर्द तथा ऐंठन ठीक हो सके।
  6. रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन रात के समय में अपनी टांगों पर ठण्डे लपेट का इस्तेमाल करना चाहिए इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  7. यदि रोगी व्यक्ति को अल्सर रोग नहीं है तो उसे अपनी टांगों पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  8. वेरिकोस वेन्स रोग से पीड़ित रोगी को कच्चे नारियल का पानी, धनिए का पानी ,जौ का पानी बिना नमक डाले पीना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से शरीर में अतिरिक्त जल तत्व कम हो जाता है और वेरिकोस वेन्स रोग ठीक हो जाता है।
  9. इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम कुछ ऐसे व्यायाम करने चाहिए जिसमें टांग को मोड़ा जा सके तथा सिकोड़ा जा सके। इस प्रकार के व्यायाम से शिराओं में रुका रक्त आगे बढ़ने लगता है और वेरिकोस वेन्स रोग ठीक हो जाता है।
  10. वेरिकोस वेन्स रोग से पीड़ित रोगी को कुछ देर तक ठण्डे पानी में चलना चाहिए। इससे शिराओं में सूजन होने के कारण जो दर्द होता है वह ठीक हो जाता है।
जानकारी-
          यदि वेरिकोस वेन्स रोग से पीड़ित रोगी प्रतिदिन प्राकृतिक चिकित्सा से अपने रोग का उपचार करे तो उसका यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मांसपेशियों के रोग : अफस्फीत शिराएं (varicose veins) मांसपेशियों के रोग : अफस्फीत शिराएं (varicose veins) Reviewed by ritesh on 2:04 AM Rating: 5

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