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आँखों के रोग : चाक्षुषोपनिषद् की पठन-विधि

चाक्षुषोपनिषद् की पठन-विधिः

 श्रीमत् चाक्षुषीपनिषद् यह सभी प्रकार के नेत्ररोगों पर भगवान सूर्यदेव की रामबाण उपासना है। इस अदभुत मंत्र से सभी नेत्ररोग आश्चर्यजनक रीति से अत्यंत शीघ्रता से ठीक होते हैं। सैंकड़ों साधकों ने इसका प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया है।
सभी नेत्र रोगियों के लिए चाक्षुषोपनिषद् प्राचीन ऋषि मुनियों का अमूल्य उपहार है। इस गुप्त धन का स्वतंत्र रूप से उपयोग करके अपना कल्याण करें।
शुभ तिथि के शुभ नक्षत्रवाले रविवार को इस उपनिषद् का पठन करना प्रारंभ करें। पुष्य नक्षत्र सहित रविवार हो तो वह रविवार कामनापूर्ति हेतु पठन करने के लिए सर्वोत्तम समझें। प्रत्येक दिन चाक्षुषोपनिषद् का कम से कम बारह बार पाठ करें। बारह रविवार (लगभग तीन महीने) पूर्ण होने तक यह पाठ करना होता है। रविवार के दिन भोजन में नमक नहीं लेना चाहिए।
प्रातःकाल उठें। स्नान आदि करके शुद्ध होवें। आँखें बन्द करके सूर्यदेव के सामने खड़े होकर भावना करें कि 'मेरे सभी प्रकार के नेत्ररोग भी सूर्यदेव की कृपा से ठीक हो रहे हैं।' लाल चन्दनमिश्रित जल ताँबे के पात्र में भरकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। संभव हो तो षोडशोपचार विधि से पूजा करें। श्रद्धा-भक्तियुक्त अन्तःकरण से नमस्कार करके 'चाक्षुषोपनिषद्' का पठन प्रारंभ करें।
इस उपनिषद का शीघ्र गति से लाभ लेना हो तो निम्न वर्णित विधि अनुसार पठन करें-
नेत्रपीड़ित श्रद्धालु साधकों को प्रातःकाल जल्दी उठना चाहिए। स्नानादि से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठें। अनार की डाल की लेखनी व हल्दी के घोल से काँसे के बर्तन में नीचे वर्णित बत्तीसा यंत्र लिखें-
8 15 2 7
6 3 12 11
14 9 8 1
4 5 10 13
मम चक्षुरोगान् शमय शमय।
बत्तीसा यंत्र लिखे हुए इस काँसे के बर्तन को ताम्बे के चौड़े मुँहवाले बर्तन में रखें। उसको चारों ओर घी के चार दीपक जलावें और गंध पुष्प आदि से इस यंत्र की मनोभाव से पूजा करें। पश्चात् हल्दी की माला से 'ॐ ह्रीं हंसः' इस बीजमंत्र की छः माला जपें। पश्चात् 'चाक्षुषोपनिषद्' का बारह बार पाठ करें। अधिक बार पढ़ें तो अति उत्तम। 'उपनिषद्' का पाठ होने के उपरान्त 'ॐ ह्रीं हंसः' इस बीजमंत्र की पाँच माला फिर से जपें। इसके पश्चात सूर्य को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य देकर साष्टांग नमस्कार करें। 'सूर्यदेव की कृपा से मेरे नेत्ररोग शीघ्रातिशीघ्र नष्ट होंगे  ऐसा विश्वास होना चाहिए।
इस पद्धति से 'चाक्षुषोपनिषद्' का पाठ करने पर इसका आश्चर्यजनक, अलौकिक प्रभाव तत्काल दिखता है।
अनेक ज्योतिषाचार्यों नेप्रकांड पंडितों ने व शास्त्रज्ञों ने इस उपनिषद् के अलौकिक प्रभाव का प्रत्यक्ष अनुभव किया है।
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