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मूत्र रोग : मूत्र रोग

मूत्र रोग

पहला प्रयोगः केले की जड़ के 20 से 50 मि.ली. रस को 50 से 100 मि.ली. गोमूत्र के साथ मिलकर सेवन करने से तथा जड़ पीसकर उसका पेडू पर लेप करने से पेशाब खुलकर आता है।
दूसरा प्रयोगः आधा से 2 ग्राम शुद्ध शिलाजीतकपूर और 1 से 5 ग्राम मिश्री मिलाकर लेने से अथवा पाव तोला (3 ग्राम) कलमी शोरा उतनी ही मिश्री के साथ लेने से लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः एक भाग चावल को चौदह भाग पानी में पकाकर उन चावलों का मांड पीने से मूत्ररोग में लाभ होता है।
कमर तक गर्म पानी में बैठने से भी मूत्र की रूकावट दूर होती है।
चौथा प्रयोगः उबाले हुए दूध में मिश्री तथा थोड़ा घी डालकर पीने से जलन के साथ आती पेशाब की रूकावट दूर होती है। यह प्रयोग बुखार में न करें।
पाँचवाँ प्रयोगः 50-60 ग्राम करेले के पत्तों के रस चुटकी भर हींग मिलाकर देने से पेशाब बहुतायत से होता है और पेशाब की रूकावट की तकलीफ दूर होती है अथवा 100 ग्राम बकरी का कच्चा दूध 1 लीटर पानी और शक्कर मिलाकर पियें।
छठा प्रयोगः मूत्ररोग सम्बन्धी रोगों में शहद व त्रिफला लेने से अत्यंत लाभ होता है। यह प्रयोग बुखार में न करें।
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मूत्र रोग : मूत्र रोग   मूत्र रोग :  मूत्र रोग Reviewed by ritesh on 2:05 AM Rating: 5

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