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वातरोग-गठिया आदि : कंपवात

कंपवात

निर्गुण्डी की ताजी जड़ एवं हरे पत्तों का रस निकाल कर उसमें पाव भाग तिल का तेल मिलाकर गर्म करके सुबह-शाम 1-1 चम्मच पीने से तथा मालिश करते रहने से कंपवात, संधियों का दर्द एवं वायु का दर्द मिटता है। स्वर्णमालती की 1 गोली अथवा 1 ग्राम कौंच का पाउडर दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
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वातरोग-गठिया आदि : कंपवात वातरोग-गठिया आदि :  कंपवात Reviewed by ritesh on 2:00 AM Rating: 5

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