मधुमेह (diabetes) : मधुमेह से मुक्ति के पांच अनुभवसिद्ध प्रयोग-2
मधुमेह से मुक्ति के पांच अनुभवसिद्ध प्रयोग-2
3. किसी
मिट्टी के पात्र में पावभर शुद्ध कुएं का या गंगाजल रख लें। इस जल में
पलाशपुष्प पांच नग डाल लें जो हर जगह आसानी से मिल जाता है। सुबह उस फूल को
उसी जल में मलकर छान लें और एक ही बार में बासी मुंह पी जाएं। हर हफ्ते
फूल की मात्रा एक-एक करके बढ़ाते जाएं। चार सप्ताह में रोग निर्मूल हो
जाएगा। अनुराधा नक्षत्र में तोड़े गए पुष्पों से और भी जल्दी लाभ होता है।
इस प्रयोग से प्रमेह में भी लाभ होता है। मूत्रकृच्छ तथा सूजाक तक के रोग
भी ठीक होते देखे गए हैं।
नोटःयह अनुभव डॉ. पन्नालाल गर्ग जी का है जिनका पता हैःअध्यक्ष,पलाश प्रयोगशाला,पीरपुर हाउस,लखनऊ(उत्तरप्रदेश)।
4. जामुन
के 1 हरे पत्ते,नीम के 2 हरे पत्ते,बिल्वपत्र(बेल) के 3 हरे पत्ते तथा
तुलसी के 8 हरे पत्ते सुखा लें। अलग-अलग लेकर समभाग में सूखे पत्तों को
पीसकर मिला लें। रोज़ चाय की चम्मच से एक चम्मच पाउडर सुबह पानी के साथ पी
लें।लेने से पहले रोगी अपने शक्कर की जांच करवा लें,यदि यह 300-400 रहा
हो,तो 150 पर आ जाएगा। इसे लेते रहने से शरीर में चीनी नियंत्रित रहती है।
5. सहदेई(सहदेवी)
नामक पौधे को खोदकर ले आएं। उसकी जड़ को अलग निकालकर एक तोला एवं एक पाव
जल(ताज़ा या बासी) के साथ इस प्रकार पीसें जिससे वह जल के साथ एकदम घुलमिल
कर एक हो जाए। उसे सुबह-शाम दोनों समय पीएं। तीस दिनों तक ऐसा करने से रोग
नष्ट हो जाता है। यह अचूक औषधि है। इससे पेट की खराबियां,रक्तदोष,ज्वर आदि
रोगों में भी मुक्ति मिलती है।
नोटःचौथा और पांचवा अनुभव क्रमशः श्री बजरंगलालजी सिंघानिया तथा परसराम जी का है। पांचो अनुभव कल्याण में प्रकाशित हैं)।
मधुमेह (diabetes) : मधुमेह से मुक्ति के पांच अनुभवसिद्ध प्रयोग-2
Reviewed by ritesh
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5:13 AM
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