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मधुमेह (diabetes) : मधुमेह में आयुर्वेद

मधुमेह में आयुर्वेद

 
आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह आसाध्य रोग है। अधिक आलसी या सुखभोगी लोगों में यह रोग होना सामान्य बात है। अधिक बार मूत्र प्रवृत्ति होना तथा गंदलापन इसके प्रमुख लक्षण हैं। अन्य बीमारियों के मरीज का शिकार होना आम बात है। प्रायः मधुमेह वंशानुगत होता देखा गया है। 
 
ये करें 
-सुबह सैर करें, नियमित व्यायाम की आदत डालें।
 
-करेला, गुलर, जामुन, गुडुची (परवल), सुरजना, मैथीदाना आदि का प्रयोग दैनिक जीवन में करने पर मधुमेह से बचा जा सकता है, जिन्हें वंशानुगत मधुमेह है, वे अवश्य ध्यान दें। खाने में चकनाई कम लें ।

-ध्यान, प्राणायाम से मानसिक एकाग्रता रहती है।
 
ये न करें 
- इनका सेवन न करें
 
- शराब, दूध, तेल, घी, मैदा, सीरप, दही।
 
-गन्नो का रस, गुड़, शकर आदि। अधिक मात्रा में भोजन।
 
-पेशाब रोकना। अधिक सोना, आराम तलब जीवनशैली। 
 
इनसे बढ़ता है जोखिम
-आलस्य, सुस्त, आरामदायक जीवनशैली।
 
-देर तक सोते रहना और दिन में भी सोना।
 
-अनुचित (फास्टफुड) भोजन करना।
 
-शारीरिक श्रम बिलकुल नहीं करना।
 
-मानसिक तनाव होना, गुड़, चीनी, खांडसारी, मिठाइयों और तली हुई चीजों का अत्यधिक मात्रा में सेवन करना और व्यायाम भी न करना।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
मधुमेह (diabetes) : मधुमेह में आयुर्वेद   मधुमेह (diabetes) : मधुमेह में आयुर्वेद Reviewed by ritesh on 5:21 AM Rating: 5

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