आपका बच्चा यदि सॉफ्ट ड्रिंक का शौकीन है तो उसे रोकना होगा। कोला या फिर
किसी भी एनर्जी ड्रिंक को मधुमेह की प्रमुख वजह माना गया है। दरअसल इनमें
शामिल काब्रोहाइड्रेट शरीर में जरूरत से अधिक ग्लूकोज की मात्रा पहुंचाता
है,जिससे मेटाबॉलिक डिस्आर्डर सिंड्रोम सामने आ रहा है।
दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर के
अध्ययन के अनुसार, दिन भर में दो से तीन दिन पर 150 एमएल कोल्ड ड्रिंक या
एनर्जी ड्रिंक से टाइप-टू मधुमेह का खतरा 25 फीसदी बढ़ सकता है। दिन में
नियमित दो बार साफ्ट ड्रिंक एक साल में 10 पाउंड वजन बढ़ा सकता है। राजधानी
दिल्ली के 1500 स्कूली बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि 59
प्रतिशत बच्चों का वजन उनकी उम्र से अधिक है। मोटे बच्चों में 10 प्रतिशत
बच्चे मधुमेह के शिकार है, जबकि 2 प्रतिशत बच्चों में मधुमेह का कारण
जेनेटिक देखा गया है। डीडीआरएस के प्रमुख डॉ. अशोक कुमार झिंगन कहते हैं कि
सॉफ्ट ड्रिंक में साधारण पेय की अपेक्षा 12 प्रतिशत अधिक सूक्रोज और
काब्रोहाइड्रेट होता है। अप्रैल से जून माह में बच्चों में कोल्ड ड्रिंक की
खपत 40 फीसदी बढ़ जाती है। अधिक कैलोरी और ग्लूकोल की अपेक्षा शारीरिक
श्रम कम होता है, जिसका असर मेटाबॉलिक डिस्आर्डर सिंड्रोम है। इसमें केवल
मधुमेह ही नहीं, इससे जुड़ी अन्य बीमारियां जैसे सीएचडी(कोरोनरीहार्ट
डिसीसी), किडनी व लिवर भी शामिल हैं(निशि भाट,हिंदुस्तान,दिल्ली,21.2.11)।
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