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मधुमेह (diabetes) : जीवनशैली की विकृतियों से अनियंत्रित होता मधुमेह

जीवनशैली की विकृतियों से अनियंत्रित होता मधुमेह

 
दुनिया भर में भले ही मधुमेह को बहुत खतरनाक रोग माना जाता हो, लेकिन ऐसा लगता है जैसे भारत के लोगों को यह उतना नहीं डराता। जिस तरह से इसके लगातार प्रसारित होने के बावजूद लोगों में जागरूकता का अभाव है उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि यहाँ के लोगों को इसका कोई भय नहीं है। वरना भारत में यह रोग जिस तरह की महामारी की शक्ल लेता जा रहा है उसके मद्देनजर अब तक तो इसे लेकर सारे देश को पहले ही सचेत हो जाना चाहिए था। 
 
दुनिया भर में सबसे अधिक मधुमेह रोगी भारत में ही रहते हैं और मरीज़ों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। यही वजह है कि दुनिया भारत को मधुमेह की राजधानी कहकर बुलाने लगी है। मधुमेह होने पर शरीर को भोजन से जो ऊर्जा मिलनी चाहिए थी उसे पाने में कठिनाई होती है। इसके बावजूद भोजन के ग्लूकोज में बदलने की प्रक्रिया जारी रहती है। ग्लूकोज रक्त में तो जाता है, लेकिन इंसुलिन के अभाव में यह कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाता। इसी कारण ग्लूकोज की अधिकतर मात्रा रक्तधारा में ही बनी रहती है जिसे उच्च रक्त ग्लूकोज कहते हैं। चूँकि कोशिकाओं में पर्याप्त ग्लूकोज नहीं रह जाता इसलिए वे उतनी ऊर्जा नहीं पैदा कर पातीं जिससे शरीर की गतिविधियाँ सामान्य रूप से संचालित हो सकें।
 
विभिन्न अध्ययनों से यह बात ग़लत साबित हो चुकी है कि मधुमेह अधिक मीठा खाने से होता है। ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं जिन्हें मीठा पसंद नहीं है लेकिन इसके बावजूद वे मधुमेह के शिकार हैं। मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज़ को मीठे से दूर रहना पड़ता है। आधुनिकता के प्रसार के साथ-साथ हमारी जीवनशैली में अनेक विकृतियाँ आ गई हैं। अब लोग शारीरिक श्रम न के बराबर करते हैं। भोजन भी ऐसा जो मधुमेह और हृदय रोग के खतरे को बढ़ा देता है।
 
 
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