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मूत्र रोग : प्रमेह (पेशाब का रंग बदलना व बहुमूत्रता) (Polyurea)

प्रमेह (पेशाब का रंग बदलना व बहुमूत्रता) (Polyurea)

पहला प्रयोगः 200 मि.ली. दूध के साथ बबूल के पत्तों का 10 मि.ली. रस 15 दिन पीने से अथवा अनार के 20 से 50 मि.ली. रस में 2 से 5 ग्राम मिश्री डालकर पीने से प्रमेह में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः रोज सुबह कच्ची हल्दी का रस एवं शुद्ध शहद 1-1 तोला मिलाकर खायें एवं रात्रि को सोते समय 3 ग्राम सूखी हल्दी का चूर्ण तथा 6 ग्राम शहद उबालकर ठण्डे किये हुए एक पाव बकरी के दूध के साथ लें। चालीस दिन ऐसा करने से पुराना प्रमेह, धातुजनित दोष, पतलापन, कमर-दर्द, बेचैनी एवं मंदाग्नि में लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः त्रिफला चूर्ण एवं मिश्री 3-3 भाग तथा हल्दी चूर्ण एक भाग मिलाकर 6 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार शहद के साथ चाटने से प्रमेह मिटता है। प्रमेह की तीव्र पीड़ा शान्त हो जाने के बाद कम-से-कम एक महीने तक सेवन चालू रखें।
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मूत्र रोग : प्रमेह (पेशाब का रंग बदलना व बहुमूत्रता) (Polyurea)   मूत्र रोग :  प्रमेह (पेशाब का रंग बदलना व बहुमूत्रता) (Polyurea) Reviewed by ritesh on 12:52 AM Rating: 5

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